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मत कहो हमसे जुदा हो जाएगा ।
वह मुहब्बत में फ़ना हो जाएगा ।।
इश्क के इस दौर में दिल आपका ।
एक दिन मेरा पता हो जाएगा ।।
धड़कनो के दरमियाँ है जिंदगी ।
धड़कनो का सिलसिला हो जाएगा ।।
इस तरह उसने निभाई है कसम ।
वह हमारा देवता हो जाएगा ।।
ऐ दिले नादां न कर मजबूर तू ।
वो मेरी ज़िद पर ख़फ़ा हो जाएगा ।।
पत्थरो को फेंक कर तुम देख लो ।
आब का ये कद बड़ा हो जाएगा ।।
मत निकलिए इस तरह से बेनकाब ।
फिर चमन में हादसा हो जाएगा ।।
अब अना से बढ़ रहीं नज़दीकियां ।
रहमतों से फ़ासला हो जाएगा ।।
- नवीन मणि त्रिपाठी
Aadarneeyaa sadar naman ke saath aabhaar
ReplyDeleteवाह..
ReplyDeleteउम्गा ग़ज़ल
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (11-09-2017) को "सूखी मंजुल माला क्यों" (चर्चा अंक 2724) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
उम्दा गज़ल. लाज़वाब शेर. हर शेर मायनीखेज़.
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