इन्द्रधनुषी रंगों की बारिश
होने लगती है
जब पुकारते हो तुम
मुझे मेरे बिगड़े हुए
नाम से,
और नारंगी हो उठती है
अधपके सूरज की किरणें
जब तुम्हारी आँखों की चमक में
अटक जाता है मेरा चेहरा,
उलझ जाती है हवा
मेरे कत्थई बालों से
जब फिसलती है तुम्हारी अँगुलियाँ
सावन की साँवली घटाओं से।
तुम एक सुहाना मौसम हो मेरे लिए।
-फाल्गुनी
( वेब दुनिया से)
बहुत खूब...
ReplyDeleteबेहतरीन रचना ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर फागुनी फुहार लिए रचना
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