सखि बसंत आ गया
सबके मन भा गया
धरती पर छा गया
सुषमा बिखरा गया
आमों में बौर लदे
कुहू-कुहू भली लगे
बागों में फूल खिले
भौंरे हैं झूम चले
मंद-मंद पवन चली
मन की है कली खिली
शिशिर शीत भाग गया
सुखद बसंत आ गया
खुशियां बरसा गया
सखि बसंत आ गया।
- शकुन्तला बहादुर
लेखिका एन. आर. आई. हैं
सुंदर रचना !
ReplyDeletesunder abhivyakti
ReplyDeleteshubhkamnayen
बेहतरीन गीत लेखन , आ. यशोदा जी धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
~ ज़िन्दगी मेरे साथ - बोलो बिंदास ! ~ ( एक ऐसा ब्लॉग -जो जिंदगी से जुड़ी हर समस्या का समाधान बताता है )
सुन्दर गीत मंज़री
ReplyDeleteसुन्दर, सम्यक, सहज, सरल अभिव्यक्ति. बधाई.
ReplyDelete