हम क्यों रचें
अपने प्यार के इर्द-गिर्द
एक स्वप्न संसार ?
क्यों नामुमकिन वादें करें ?
क्यों ताजमहल को ही सुबूत मानें
बेपनाह मोहब्बतों का ?
करें क्यों हम भी वही
जो शाहजहां या शहजादे करें ?
प्यार अनुभूति है नाजुक - सी
कोई बोझ तो नहीं
जो हम हर कहीं
हर घड़ी लादें फिरें ।
आसमानों के सपने तो फरेबी हैं,
आओ कि
हम इसी जमीन पर
जीने के इरादे करें
-कैलाश जैन
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