बड़ी कमबख्त दुनिया है।
बड़ी बदबख्त दुनिया है।
न पिघले आँख के बादल,
बड़ी ही सख्त दुनिया है।
सुनेगी दर्द क्या तेरा,
यहाँ तो व्यस्त दुनिया है।
चीखों पर भी है हँसती,
बड़ी ही मस्त दुनिया है।
सुबह भी छुप कहीं सोयी,
यहाँ तो अस्त दुनिया है।
सभी शापित सभी दानव,
यहाँ अभिशप्त दुनिया है।
खुशी सच्ची कहाँ भाई,
जलन से तप्त दुनिया है।
न सिहरन बस रही तेरी,
यहाँ तो त्रस्त दुनिया है।
कफ़न कह लो चिता बोलो,
धरे सब हस्त दुनिया है।
न लिख रजनीश तू कुछ भी,
सभी से पस्त दुनिया है।
©रजनीश "स्वच्छंद"
मूल रचना
मूल रचना
बहुत खूब.... पूर्णतया सत्य ...👌
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 29 जून 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत खूब ।
ReplyDeleteहर शेर लाजवाब।
खुशी सच्ची कहां भाई,जलन से तप्त दुनिया है,बेहद सुंदर रचना
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