इश्तेहार
चाहे किसी कंपनी का हो या
किसी स्कूल,दुकान का
उसे पढ़ना चाहिए
क्योंकि उसे पढ़ने में कोई ड़र नहीं
समय ही ऐसा हो गया है
सब काम ही इश्तेहारो से होते है
नई दूकान बनाओ
तो इश्तेहार
अस्पताल बनाओ
तो इश्तेहार
इश्तेहार जिसमे होती है
कुछ सूचनाएं कुछ सन्देश
कुछ आकड़े
कुछ वादे
जिसे खुद भी पढ़ो दूसरो को भी
सुनाओ और हमारी
सेवाओं व् वस्तुओ का फायदा उठाओ
पर इश्तेहार के चक्कर में
ठगे जाते है भोले भाले गरीब लोग
अक्सर
इसलिए इश्तेहार पढ़े जरूर
पर फैसला ले सोच समझकर
क्योंकि इश्तेहार का काम है
सिर्फ सूचना पहुँचाना !!
बहुत खूब ।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 23 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteशानदार....
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (२४ -११ -२०१९ ) को "जितने भी है लोग परेशान मिल रहे"(चर्चा अंक-३५२९) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
वाह!!संजय जी ,बहुत खूब !! इश्तेहार इतने लुभावने होते है ,कि जनमानस सही -गलत भूलकर खिंचा चला जाता है ।
ReplyDelete