Saturday, July 20, 2019

ज़िंदगी की किताब.....अनीता सैनी


क़्त  ने   लिखे  अल्फ़ाज़,
ज़िंदगी  की नज़्म  बन  गयी, 
सीने में दबा, साँसों ने लिया संभाल, 
अनुभवों  की  किताब  बन गयी  |

होठों की मुस्कान, 
न भीगे  नम आँखों से,ख़ुशी का आवरण गढ़ गयी,
शब्दों को सींचा स्नेह से,
दर्द में डूबी मोहब्बत,अल्फ़ाज़ में सिमट गयी |

गुज़रे   वक़्त   को, 
आँखों  में किया बंद, लफ़्ज़ ज़िंदगी पढ़ती गयी , 
मिली  मंज़िल  मनचाही, 
हिम्मत  साँसों  में  ढलती गयी  |

 संघर्ष  के  पन्नों  पर, 
अमिट उम्मीद की मसी  फैल  गयी , 
सुख  खिला  संतोष  में,
इंसानियत  की  नींव  रखती   गयी  |

न हृदय को पड़ी,  मैं की  मार, 
न अंहकार से  हुई  तक़रार,
मिली चंद साँसें  उसी  को  जीवन वार,
ज़िंदगी अल्फ़ाज़  में  सिमटी  किताब  बन  गयी |
                

            लेखक परिचय - अनीता सैनी 

9 comments:

  1. व्वाहहहह...
    बेहतरीन...
    सादर...

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  2. " अनुभवों की किताब बन गई " बहुत ही प्यारी अनुभव और अनुभूति से पगी हुई रचना। बहुत अच्छा अनीता!

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  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 20 जुलाई 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (21 -07-2019) को "अहसासों की पगडंडी " (चर्चा अंक- 3403) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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  5. वाह..., अत्यंत सुन्दर ।

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  6. संघर्ष के पन्नों पर,
    अमिट उम्मीद की मसी फैल गयी ,
    सुख खिला संतोष में,
    इंसानियत की नींव रखती गयी |

    लाजवाब भावों की गहराई लिए सुंदर अभिव्यक्ति।

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  7. बहुत सुन्दर

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