Saturday, July 27, 2019

तू बता दे कि फायदा क्या है ....डॉ.नवीन मणि त्रिपाठी

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पूछिये मत कि हादसा क्या है ।
पूछिये दिल कोई बचा क्या है।।

दरमियाँ इश्क़ मसअला क्या है।
तेरी उल्फ़त का फ़लसफ़ा क्या है ।।

सारी बस्ती तबाह है तुझसे ।
हुस्न तेरी बता रज़ा क्या है ।।

आसरा तोड़ शान से लेकिन ।
तू बता दे कि फायदा क्या है ।।

रिन्द के होश उड़ गए कैसे ।
रुख से चिलमन तेरा हटा क्या है ।।

बारहा पूछिये न दर्दो गम ।
हाले दिल आपसे छुपा क्या है ।।

फूँक कर छाछ पी रहा है वो ।
आदमी दूध का जला क्या है ।।

चाँद दिखता नहीं है कुछ दिन से ।
घर पे पहरा कोई लगा क्या है ।।

अश्क़ उतरे हैं तेरी आंखों में ।
ख़त में उसने तुझे लिखा क्या है ।।

-डॉ.नवीन मणि त्रिपाठी 
मौलिक अप्रकाशित

14 comments:

  1. एक खूब सूरत ग़ज़ल प्रकाशित करने के लिए तहेदिल से शुक्रिया और नमन

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 27 जुलाई 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (28 -07-2019) को "वाह रे पागलपन " (चर्चा अंक- 3410) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ....
    अनीता सैनी

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    1. आ0 ग़ज़ल पर आपका स्नेह पाकर धन्य हुआ । तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया ।

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    2. आ0 ग़ज़ल पर आपका स्नेह पाकर धन्य हुआ । तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया ।

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  4. बहुत ही खूबसूरत...

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    1. आ0 ग़ज़ल पर आपका स्नेह पाकर धन्य हुआ । तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया ।

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  5. बहुत सुन्दर रचना

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    1. आ0 ग़ज़ल पर आपका स्नेह पाकर धन्य हुआ । तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया ।

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  6. बहुत उम्दा प्रस्तुति।

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    1. आ0 ग़ज़ल पर आपका स्नेह पाकर धन्य हुआ । तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया ।

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  7. कोमल भावों से परिपूर्ण सुंदर रचना...

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    1. आ0 ग़ज़ल पर आपका स्नेह पाकर धन्य हुआ । तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया ।

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