2122 1212 22
पूछिये मत कि हादसा क्या है ।
पूछिये दिल कोई बचा क्या है।।
दरमियाँ इश्क़ मसअला क्या है।
तेरी उल्फ़त का फ़लसफ़ा क्या है ।।
सारी बस्ती तबाह है तुझसे ।
हुस्न तेरी बता रज़ा क्या है ।।
आसरा तोड़ शान से लेकिन ।
तू बता दे कि फायदा क्या है ।।
रिन्द के होश उड़ गए कैसे ।
रुख से चिलमन तेरा हटा क्या है ।।
बारहा पूछिये न दर्दो गम ।
हाले दिल आपसे छुपा क्या है ।।
फूँक कर छाछ पी रहा है वो ।
आदमी दूध का जला क्या है ।।
चाँद दिखता नहीं है कुछ दिन से ।
घर पे पहरा कोई लगा क्या है ।।
अश्क़ उतरे हैं तेरी आंखों में ।
ख़त में उसने तुझे लिखा क्या है ।।
-डॉ.नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
एक खूब सूरत ग़ज़ल प्रकाशित करने के लिए तहेदिल से शुक्रिया और नमन
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 27 जुलाई 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (28 -07-2019) को "वाह रे पागलपन " (चर्चा अंक- 3410) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
....
अनीता सैनी
आ0 ग़ज़ल पर आपका स्नेह पाकर धन्य हुआ । तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया ।
Deleteआ0 ग़ज़ल पर आपका स्नेह पाकर धन्य हुआ । तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया ।
Deleteबहुत ही खूबसूरत...
ReplyDeleteआ0 ग़ज़ल पर आपका स्नेह पाकर धन्य हुआ । तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया ।
Deleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteआ0 ग़ज़ल पर आपका स्नेह पाकर धन्य हुआ । तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया ।
Deleteबहुत उम्दा प्रस्तुति।
ReplyDeleteआ0 ग़ज़ल पर आपका स्नेह पाकर धन्य हुआ । तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया ।
Deleteकोमल भावों से परिपूर्ण सुंदर रचना...
ReplyDeleteआ0 ग़ज़ल पर आपका स्नेह पाकर धन्य हुआ । तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया ।
Delete