सोनोग्राफी क्लिनिक के अन्दर
एक महिला ने
थरथराते होठों से
एकान्त में..कहा
घर वाले मेरा ..
करवाना चाहते हैं
परीक्षण
जानना चाहते वे
लड़का है या फिर लड़की
अन्तरात्मा मेरी
धिक्कारती है मुझको
मैडम आप ही
कोई दीजिए सुझाव
कह दीजिए आप
अगर
आपने यह परीक्षण करवाया
तो प्रसव मैं नही करवा सकती..
हाँ,"मैडम ने कहा"
वैसे भी गलत भी
हो जाते हैं कई टेस्ट
सौ प्रतिशत
कोई नहीं बता सकता
फिर मैडम ने कहा
क्यों नही चाहती आप??
क्या नहीं चाहिए बेटा??
लड़की तो हैं न एक फिर
ये खतरा क्यूँ...
वो महिला बोल पड़ी....
खतरा...
हाँ लड़की जन्मना
खतरा ही तो है
पर,मैडम जी जब
एक माँ ऐसा सोचने लगे
तो फिर माँ कौन बनेगा
ये सृष्टि कैसे चलेगी???
वाह !बेहतरीन सृजन दी जी
ReplyDeleteएक माँ ने माँ को टटोला,एक माँ के लिए,
सार्थक रचना
सादर
सटीक
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (23-07-2019) को "बाकी बची अब मेजबानी है" (चर्चा अंक- 3405) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
यशोदा दी, बिल्कुल सही सवाल कि जब एक माँ ऐसा सोचने लगे तो फिर माँ कौन बनेगा? ये सृष्टि कैसे चलेगी???
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
आंख खोलने वाली रचना। किन्तु, मुझे लगता है कि नारी-शक्ति को ही फल करनी होगी इस विसंगति के उन्मूलन के लिए।
ReplyDeleteगंभीर विचारणीय प्रस्तुति।
ReplyDeleteअति उत्तम।
गंभीर विचारणीय प्रश्न
ReplyDeleteअति उत्तम प्रस्तुति