Wednesday, July 17, 2019

यूँ तो हर मंदिर में बस पत्थर मिलेगा ..दिगंबर नासवा

खेत, पीपल, घर, कुआँ, पोखर मिलेगा
क्यों है ये उम्मीद वो मंज़र मिलेगा

तुम गले लगना तो बख्तर-बंद पहने
दोस्तों के पास भी खंज़र मिलेंगा

कूदना तैयार हो जो सौ प्रतीशत
भूल जाना की नया अवसर मिलेगा

इस शहर में ढूंढना मुमकिन नहीं है
चैन से सोने को इक बिस्तर मिलेगा

देर तक चाहे शिखर के बीच रह लो
चैन धरती पर तुम्हे आकर मिलेगा

बैठ कर देखो बुजुर्गों के सिरहाने
उम्र का अनुभव वहीं अकसर मिलेगा

मन से मानोगे तो खुद झुक जाएगा सर 
यूँ तो हर मंदिर में बस पत्थर मिलेगा !!


लेखक परिचय -  दिगंबर नासवा

8 comments:

  1. वाह !बेहतरीन 👌👌
    सादर

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  2. बैठ कर देखो बुजुर्गों के सिरहाने
    उम्र का अनुभव वहीं अकसर मिलेगा
    वाह !! बहुत खूब !!

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  3. वाह!!लाजवाब सृजन दिगंबर जी ।

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  4. वाह बहुत सुंदर
    बधाई नासबा जी

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  5. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 18.7.19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3400 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

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  6. Bahut, bahut umda! Har sher par Wah nikalta hai.

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  7. @मन से मानोगे तो खुद झुक जाएगा सर, यूँ तो हर मंदिर में बस पत्थर मिलेगा......
    बहुत खूब !

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