Tuesday, October 22, 2013

हमनें हर ताक पर सपनों को जला रखा है..............प्रखर मालवीय ‘कान्हा’



आज भी तेरी तस्वीर मैंनें आंगन में लगा रखा है
हर एक सांस पर तेरा नाम सजा रखा है

देख ना ले मेरे अश्कों मे तुझको कोई
हमने हर अश्क को पलकों में छुपा रखा है

गीले पलकों पर अब ख्वाब नहीं टिकता "कान्हा"
इस लिये हर ख्वाब तेरी राहों में बिछा रखा है

एक पल को भी ना वीरान हुआ कूचा मेरा
गम-ए तनहाई को जबसे हमने अपना बना रखा है

तुम चले गये तुम्हारी याद ना जाने दी हमने
आज अभी हर याद को सीने से लगा रखा है

आ जाना गर धुंधला जाए तेरी आँखों का काज़ल
हमनें हर ताक पर सपनों को जला रखा है

अच्छे लगते हैं अब तो गालों पे बहते आँसू
आँसुओं को पीने में भी अपना मज़ा रखा है


प्रखर मालवीय ‘कान्हा’ 08057575552
गृहलक्ष्मी में प्रकाशित रचना

14 comments:

  1. is nacheej ki rachna ke upar inayat ke liye tah-e-dil se shukriya Yashoda ji
    saadar
    kanha

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  2. अच्छे लगते हैं अब तो गालों पे बहते आँसू
    आँसुओं को पीने में भी अपना मज़ा रखा है ......बेहतरीन !

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  3. देख ना ले मेरे अश्कों मे तुझको कोई
    हमने हर अश्क को पलकों में छुपा रखा है
    बहुत सुन्दर |
    नई पोस्ट मैं

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    1. dhanyawad sir....apke comment se hamesha housla badha hai

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  4. तुम चले गये तुम्हारी याद ना जाने दी हमने
    आज अभी हर याद को सीने से लगा रखा है
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।

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  5. वाह ... बहुत ही बढिया

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  6. खुबसूरत अभिवयक्ति......

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