शाम का चेहरा जब धुँधला हो जाता है
मन भारी भीगा-भीगा हो जाता है
यौवन, चेहरा, आँखें बहकें ही बहकें
रंग हिना का जब गाढ़ा हो जाता है
यकदम मर जाना,क्या मरना,यूँ भी तो
‘धीरे धीरे सब सहरा हो जाता है’
सपने की इक पौध लगाओ जीवन में
सुनते हैं ये पेड़ बड़ा हो जाता है
सब साझा करते, पलते, भाई भाई
कैसे फिर तेरा मेरा हो जाता है
ग़ोता गहरे पानी में मोती देगा
मन लेकिन उथला-उथला हो जाता है
बाँट रहा है सुख दुःख जाने कौन यहाँ
जो जिस को मिलता उसका हो जाता है
शीशा है दिल अक्स दिखायी देगा ही
मुस्काता जो बस अपना हो जाता है
देख लहू का रंग बहुत बतियायेगा
पूछेगा,वो क्यूँ फीका हो जाता है
भांज रहे हैं वो तलवारें, भांजेंगे
बस मुद्दा पारा पारा हो जाता है
अश्वनी शर्मा 09414052020
मन भारी भीगा-भीगा हो जाता है
यौवन, चेहरा, आँखें बहकें ही बहकें
रंग हिना का जब गाढ़ा हो जाता है
यकदम मर जाना,क्या मरना,यूँ भी तो
‘धीरे धीरे सब सहरा हो जाता है’
सपने की इक पौध लगाओ जीवन में
सुनते हैं ये पेड़ बड़ा हो जाता है
सब साझा करते, पलते, भाई भाई
कैसे फिर तेरा मेरा हो जाता है
ग़ोता गहरे पानी में मोती देगा
मन लेकिन उथला-उथला हो जाता है
बाँट रहा है सुख दुःख जाने कौन यहाँ
जो जिस को मिलता उसका हो जाता है
शीशा है दिल अक्स दिखायी देगा ही
मुस्काता जो बस अपना हो जाता है
देख लहू का रंग बहुत बतियायेगा
पूछेगा,वो क्यूँ फीका हो जाता है
भांज रहे हैं वो तलवारें, भांजेंगे
बस मुद्दा पारा पारा हो जाता है
अश्वनी शर्मा 09414052020
सपने की इक पौध लगाओ जीवन में
ReplyDeleteसुनते हैं ये पेड़ बड़ा हो जाता है.......बेहतरीन !!!
बस मुद्दा पारा -पारा हो जाता है -----
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना , विजय दशमी की बहुत-बहुत शुभकामनायें ।
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteग़ोता गहरे पानी में मोती देगा
ReplyDeleteमन लेकिन उथला-उथला हो जाता है
बाँट रहा है सुख दुःख जाने कौन यहाँ
जो जिस को मिलता उसका हो जाता है
बेहद सुंदर पंक्तियाँ।।।