Saturday, October 19, 2013

दिल का इक कोना ग़ुस्सा हो जाता है............... प्रखर मालवीय ‘कान्हा’



रो-धो के सब कुछ अच्छा हो जाता है
मन जैसे रुठा बच्चा हो जाता है

कितना गहरा लगता है ग़म का सागर
अश्क बहा लूं तो उथला हो जाता है

लोगों को बस याद रहेगा ताजमहल
छप्पर वाला घर क़िस्सा हो जाता है

मिट जाती है मिट्टी की सोंधी ख़ुशबू
कहने को तो, घर पक्का हो जाता है

नीँद के ख़्वाब खुली आँखों से जब देखूँ
दिल का इक कोना ग़ुस्सा हो जाता है

प्रखर मालवीय ‘कान्हा’ 08057575552


27 comments:

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  3. मिट जाती है मिट्टी की सोंधी ख़ुशबू
    कहने को तो, घर पक्का हो जाता है...

    बेहतरीन सुंदर गजल साझा करने के लिए आभार !

    RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.

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    1. Bahut bahut aabhar dhirendra ji...shukriya kubul farmaye

      Prakhar Malviya 'Kanha'

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    2. wah ! bahut sundar......likhne ka andaz bahut khoob

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  4. Houslaafzai k liye Tah-e-dil se shukriya Rewa ji
    Kanha

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  5. रो-धो के सब कुछ अच्छा हो जाता है
    मन जैसे रुठा बच्चा हो जाता है
    वाह ... बेहतरीन

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  6. बेहतरीन सुंदर गजल

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  7. खूबसूरत ग़ज़ल .. हरेक अश'आर बेहद प्रभावी !आपकी इस उत्कृष्ट रचना की चर्चा कल 20/10/2013, रविवार ‘ब्लॉग प्रसारण’ http://blogprasaran.blogspot.in/ पर भी ... कृपया पधारें ..

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  8. Hum is jarra-nawaji ke liye apka aabhar prakat krte hain Lalit ji....sadhuwad
    Hum aap logo ke beech moujud hone ka prayatn krenge

    Kanha

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  9. Is inayat ke liye Tah-e-dil se shukriya kubul farmaye'n Shalini ji...ye hamare liye garv ki baat hogi agr hum chand lamhaat aap logo k sang vyateet kre to...hum apke blog par kal kuchh samay dene ki puri koshis krenge....saadar

    Kanha

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  10. कितना गहरा लगता है ग़म का सागर
    अश्क बहा लूं तो उथला हो जाता है

    सच ही कहा है। सुंदर प्रस्तुति।

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  11. लोगों को बस याद रहेगा ताजमहल
    छप्पर वाला घर क़िस्सा हो जाता है
    आप बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखते है ,जारी रखे |
    नई पोस्ट महिषासुर बध (भाग तीन)

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  12. Dhanyawad prasad ji...aabhar

    Kanha

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  13. नीँद के ख़्वाब खुली आँखों से जब देखूँ
    दिल का इक कोना ग़ुस्सा हो जाता है
    बहुत सुन्दर .
    नई पोस्ट : धन का देवता या रक्षक

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  14. बहुत सुंदर और गहरे भाव लिये मन को छू जाती रचना

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  15. Bahut bahut aabhar Shikha ji..yakinan housla afzai hogi

    Kanha

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  16. Kya kahne bhai lajawab ek se bad k ek ashyaar kahe hain jio kanha

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