रो-धो के सब कुछ अच्छा हो जाता है
मन जैसे रुठा बच्चा हो जाता है
कितना गहरा लगता है ग़म का सागर
अश्क बहा लूं तो उथला हो जाता है
लोगों को बस याद रहेगा ताजमहल
छप्पर वाला घर क़िस्सा हो जाता है
मिट जाती है मिट्टी की सोंधी ख़ुशबू
कहने को तो, घर पक्का हो जाता है
नीँद के ख़्वाब खुली आँखों से जब देखूँ
दिल का इक कोना ग़ुस्सा हो जाता है
प्रखर मालवीय ‘कान्हा’ 08057575552
मन जैसे रुठा बच्चा हो जाता है
कितना गहरा लगता है ग़म का सागर
अश्क बहा लूं तो उथला हो जाता है
लोगों को बस याद रहेगा ताजमहल
छप्पर वाला घर क़िस्सा हो जाता है
मिट जाती है मिट्टी की सोंधी ख़ुशबू
कहने को तो, घर पक्का हो जाता है
नीँद के ख़्वाब खुली आँखों से जब देखूँ
दिल का इक कोना ग़ुस्सा हो जाता है
प्रखर मालवीय ‘कान्हा’ 08057575552
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ReplyDeletethanxxx for share boss
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ReplyDeleteमिट जाती है मिट्टी की सोंधी ख़ुशबू
ReplyDeleteकहने को तो, घर पक्का हो जाता है...
बेहतरीन सुंदर गजल साझा करने के लिए आभार !
RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.
Bahut bahut aabhar dhirendra ji...shukriya kubul farmaye
DeletePrakhar Malviya 'Kanha'
wah ! bahut sundar......likhne ka andaz bahut khoob
DeleteHouslaafzai k liye Tah-e-dil se shukriya Rewa ji
ReplyDeleteKanha
रो-धो के सब कुछ अच्छा हो जाता है
ReplyDeleteमन जैसे रुठा बच्चा हो जाता है
वाह ... बेहतरीन
Shukriya ..
DeleteKanha
veri goog
ReplyDeleteThanxxx a lot
DeleteKanha
बेहतरीन सुंदर गजल
ReplyDeleteBahut bahut shukriya Ramesh ji
DeleteKanha
खूबसूरत ग़ज़ल .. हरेक अश'आर बेहद प्रभावी !आपकी इस उत्कृष्ट रचना की चर्चा कल 20/10/2013, रविवार ‘ब्लॉग प्रसारण’ http://blogprasaran.blogspot.in/ पर भी ... कृपया पधारें ..
ReplyDeleteHum is jarra-nawaji ke liye apka aabhar prakat krte hain Lalit ji....sadhuwad
ReplyDeleteHum aap logo ke beech moujud hone ka prayatn krenge
Kanha
Is inayat ke liye Tah-e-dil se shukriya kubul farmaye'n Shalini ji...ye hamare liye garv ki baat hogi agr hum chand lamhaat aap logo k sang vyateet kre to...hum apke blog par kal kuchh samay dene ki puri koshis krenge....saadar
ReplyDeleteKanha
कितना गहरा लगता है ग़म का सागर
ReplyDeleteअश्क बहा लूं तो उथला हो जाता है
सच ही कहा है। सुंदर प्रस्तुति।
Is Housla-afzai ke liye aabhar Asha ji
DeleteKanha
sundar .....
ReplyDeleteShukriya Nisha ji
ReplyDeleteKanha
लोगों को बस याद रहेगा ताजमहल
ReplyDeleteछप्पर वाला घर क़िस्सा हो जाता है
आप बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखते है ,जारी रखे |
नई पोस्ट महिषासुर बध (भाग तीन)
Dhanyawad prasad ji...aabhar
ReplyDeleteKanha
नीँद के ख़्वाब खुली आँखों से जब देखूँ
ReplyDeleteदिल का इक कोना ग़ुस्सा हो जाता है
बहुत सुन्दर .
नई पोस्ट : धन का देवता या रक्षक
Shukriya Rajeev ji...aabhar
DeleteKanha
बहुत सुंदर और गहरे भाव लिये मन को छू जाती रचना
ReplyDeleteBahut bahut aabhar Shikha ji..yakinan housla afzai hogi
ReplyDeleteKanha
Kya kahne bhai lajawab ek se bad k ek ashyaar kahe hain jio kanha
ReplyDelete