Sunday, December 13, 2020

क्यूं रूठे है सनम आप हमसे ....प्रीती श्रीवास्तव

 


नजरो से अपनी पिलाइये तो जरा।
हस कर करीब मेरे आइये तो जरा।।


क्यूं रूठे है सनम आप हमसे।
क्या वजह है बताइये तो जरा।।

दिल है मेरा कांच का सनम।
इस पर रहम खाइये तो जरा।।

 टूटकर बिखर न जाऊं कहीं।
दिल की दिल को सुनाइये तो जरा।।

 प्यासे ही रह गये जाकर मयखाने।
थोड़ी ही सही पिलाइये तो जरा।।

सबकी नजरें उठ रही बार बार।
हया को आँखों में लाइये तो जरा।।
-प्रीती श्रीवास्तव

12 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 14 दिसम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 14 दिसंबर 2020 को 'जल का स्रोत अपार कहाँ है' (चर्चा अंक 3915) पर भी होगी।--
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  3. उम्दा/बेहतरीन सृजन।

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  4. सुन्दर अभिव्यक्ति !!

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  5. श्रृंगार रस की उम्मदा रचना।

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