Saturday, December 19, 2020

उसकी जुल्फों का था साया दोस्तों ..नवीन मणि त्रिपाठी

हासिल ग़ज़ल 

2122 2122 2112

कर   के  वादा  वो   निभाया  दोस्तो ।

बा  वफ़ा   फिर  याद  आया  दोस्तो ।।


वो  नज़र  पढ़  कर  गयी  जब से मुझे ।

नूर   रुख़   पर  लौट  आया  दोस्तो ।।


हैं   बहुत  मग़रूर  जानां  हुस्न   पर ।

आइना    किसने   दिखाया    दोस्तो ।।


अब  मुहब्बत  है   ज़रूरी  मुल्क   में ।

मत   कहो  अपना   पराया   दोस्तो ।।


इश्क़  में  मत  पूछना  ये  बात   अब ।

दिल ने कितना ज़ख्म खाया दोस्तो ।।


हाले  दिल  की  है ख़बर  सबको  यहां ।

किसने   कितना  है  रुलाया  दोस्तो ।।


बाद   मुद्दत   मैक़दे   में  आज   फिर ।

मुझको    साकी   ने  पिलाया  दोस्तो ।।


चीज़  क्या  है  मैकशी   समझा  तभी ।

जब  लबों  तक  जाम  लाया  दोस्तो ।।


ख़ुद  को  बस  तन्हा  ही पाया  भीड़ में ।

जब   भी   तुमको  आजमाया  दोस्तो ।।


चांदनी  रोशन  हुई   महफ़िल   में  तब।

चाँद   जब   भी   मुस्कुराया   दोस्तो ।।


दिन   अंधेरी   रात   सा  लगने    लगा ।

उसकी जुल्फों  का था साया दोस्तों ।। 

-नवीन मणि त्रिपाठी

1 comment:

  1. चांदनी रोशन हुई महफ़िल में तब।

    चाँद जब भी मुस्कुराया दोस्तो ।।



    दिन अंधेरी रात सा लगने लगा ।

    उसकी जुल्फों का था साया दोस्तों ।

    वाह!
    क्या बात!
    बहुत सुंदर।
    सादर।

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