हासिल ग़ज़ल
2122 2122 2112
कर के वादा वो निभाया दोस्तो ।
बा वफ़ा फिर याद आया दोस्तो ।।
वो नज़र पढ़ कर गयी जब से मुझे ।
नूर रुख़ पर लौट आया दोस्तो ।।
हैं बहुत मग़रूर जानां हुस्न पर ।
आइना किसने दिखाया दोस्तो ।।
अब मुहब्बत है ज़रूरी मुल्क में ।
मत कहो अपना पराया दोस्तो ।।
इश्क़ में मत पूछना ये बात अब ।
दिल ने कितना ज़ख्म खाया दोस्तो ।।
हाले दिल की है ख़बर सबको यहां ।
किसने कितना है रुलाया दोस्तो ।।
बाद मुद्दत मैक़दे में आज फिर ।
मुझको साकी ने पिलाया दोस्तो ।।
चीज़ क्या है मैकशी समझा तभी ।
जब लबों तक जाम लाया दोस्तो ।।
ख़ुद को बस तन्हा ही पाया भीड़ में ।
जब भी तुमको आजमाया दोस्तो ।।
चांदनी रोशन हुई महफ़िल में तब।
चाँद जब भी मुस्कुराया दोस्तो ।।
दिन अंधेरी रात सा लगने लगा ।
उसकी जुल्फों का था साया दोस्तों ।।
-नवीन मणि त्रिपाठी
चांदनी रोशन हुई महफ़िल में तब।
ReplyDeleteचाँद जब भी मुस्कुराया दोस्तो ।।
दिन अंधेरी रात सा लगने लगा ।
उसकी जुल्फों का था साया दोस्तों ।
वाह!
क्या बात!
बहुत सुंदर।
सादर।