मै कोई परी भी नहीं
जो आसमां मे उड़ जाऊं
मै कोई किताब भी नहीं
जो रद्दी में बेच दी जाऊं
मै तेरा आज नहीं
जो कल नजर ना आऊं
मैं कोई परछाई भी नहीं
जी अंधेरे से डर जाऊं
मै तो तेरे रूह का हिस्सा हूं
जिसे तू भी मिटा नहीं सकता
अपने नाम से मेरा नाम
हटा नहीं सकता
जब भी सांस लेगा तू
मुझे ही महसूस करेंगा
जाएगा कहां भागकर खुद से
मेरा अस्तित्व तो
हर जगह मौजूद रहेगा
स्वरचित
©नीलम गुप्ता
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteसुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 24 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना...
ReplyDeleteख़ूबसूरत रचना
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteवाह! खूबसूरत.
ReplyDeleteबहुत खूब!!
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति