नर मांस
है भूख बहुत
धर्म की सर्वोच्चता की
खाएंगे मांस
वो मेरा मैं उनका।
बच्चे
जिन्हें देखनी थी ज़िंदगी
और सीखने थे
सबसे पवित्र लफ़्ज़ -
प्यार, मुहब्बत
पर सीख गये
हिन्दू और मुस्लिम।
कलमकार
जो उठाते हैं कलम
करते हैं बात सच की
और
बनते हैं आवाज़ हर किसी की
जब बात उन पर आती है
सबसे पहले घोंटे जाते हैं उन्हीं के गले।
-राकेश पत्थरिया 'सागर'
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 7.5.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3694 में दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क