Saturday, May 23, 2020

जाने कहाँ खो गई हूँ , मैं .......वीणा जैन


चहुँ ओर
चहकती चहल - पहल में
जाने कहाँ खो गई हूँ , मैं !!
और , तुम कहते हो
इस चहल - पहल का एक अहम हिस्सा हूँ , मैं .....
एक हलचल
एक बेचैनी
एक तलाश
एक तिश्नगी
कुछ भ्रान्त हूँ .. मैं क्लांत हूँ
कि, कौन कहानी का किस्सा हूँ ,
मैं ?
कितने मुखौटे पहने मैंने
कब - कब दर्पण देखे मैंने ....
कौन जगह है
कायनात में , मेरे खातिर
क्या है मेरा ठिकाना .....
कहाँ छुपे हैं , अर्श मेरे
कौन गढ़ता है , संघर्ष मेरे ...
किस ने लिखी यह अधूरी कहानी
मैं कहाँ सम्पूर्ण कहानी ...
कि , मेरे ही आंगन में
महज मेहमां नवाजी का
एक अनूठा किस्सा हूँ , मैं ...
और , तुम कहते हो
इस चहल - पहल का एक अहम हिस्सा हूँ , मैं ....

-वीणा जैन

6 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 23 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. सुन्दर प्रस्तुति

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  3. बिलकुल! एक अहम हिस्सा हैं आप।
    लेखन से यही मेरे समझ में आया

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  4. " मेरे ही आंगन में
    महज मेहमां नवाजी का
    एक अनूठा किस्सा हूँ , मैं ..."...
    वाह ! बड़ी आसानी से आपने तो मानव-जीवन की क्षणभंगुरता को स्वीकार किया है। नमन आपको और आपकी दार्शनिक विचारधारा/लेखन को, वर्ना लोगबाग तो अपनी अहमियत को जताने के लिए अपनी गर्दन अकड़ाए फ़िरते हैं ...

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  5. सुंदर प्रस्तुति वीणा दीदी। नमन

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