श्वेता सिन्हा के ब्लॉग में एक प्रतिक्रिया पढ़ी
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हे कवि !
निकलो अपने ही शहर में,
कम से कम अपने मुहल्लों में
भर दो पेट एक भी मजबूर परिवार का
जो तुम्हारी हजार सकारात्मक
या नकारात्मक लेखनी से
लाख गुणा बेहतर है ..
तो उठो ना कवि !
पटको अपनी लेखनी
उठा लो बस चन्द रोटियों की पोटली
निकल पड़ो और कहीं दूर नहीं तो
अपने ही आस-पड़ोस में, मोहल्ले में ...
कब तक भला लेखनी के भुलावे
परोसते रहोगे निरीह,बेबस,दुखियों,निर्धनों के लिए ...
जरुरत नहीं उन्हें तुम्हारी कोरी शब्दों वाली सहानुभूति की
बस .. एक बार समानुभूति में तो भींजो
बस एक बार .. आज , अभी ही भींजो
आज, अभी ही भींजोगे ना कवि ?
बोलो ना कवि ...
-सुबोध सिन्हा
वाह बहुत सुंदर
ReplyDelete"मेरी धरोहर" ब्लॉग-मंच को और विशेष कर यशोदा बहन को मन से आभार मेरी बस यूँ ही ... वाली ऊटपटाँग प्रतिक्रिया को एक रचना के रूप में सजा कर मंच पर आज पेश करने के लिए ..
ReplyDeleteसाथ ही एक और आभार आपको , जाने-अन्जाने इस प्रस्तुति के साथ-साथ लोगबाग की पसंदीदा टी वी सीरियल - द कपिल शर्मा शो - में कलाकार सुनील ग्रोवर द्वारा अभिनीत डॉ मशहूर गुलाटी नामक एक हास्य और ऊटपटाँग हरकतों वाले पात्र की तस्वीर लगाने के लिए भी ... ☺ :)��
यह प्रतिक्रिया/विचार ( अब तो आपने रचना का रूप दे दिया है) किसी रचनाविशेष के लिए ही नहीं बल्कि हर उस सहानुभूति की चाशनी में लिपटी कोरी शाब्दिक गुहार या सांत्वना वाली रचनाओं के साथ अकड़ी गर्दन के लिए है।
हाँ ... उस दिन उस रचनाविशेष को पढ़ कर मन की एक ऊटपटाँग भड़ांस त्वरित स्वतःस्फूर्त वेब-पन्ने पर उतरती चली गई थी .. ऊटपटाँग प्रतिक्रिया के रूप में .. बस यूँ ही ... ��
कटु सत्य
ReplyDeletewww.kavitavishv.com
जी ! रचना/विचार तक आने और सहमति के लिए आभार आपका महोदय ...
Deleteलेकिन कवि अपनी लेखनी पटकेंगे तो दरिद्रता के दारुण चित्र दिखाकर और उनपर एक दो पंक्ति लिखकर वाही - वाही कौन लूटेगा भला ? शब्दों में भाव सजाकर प्रशंसा का पात्र कौन बनेगा भला , गुनीजनों की निगाह में | उल्लेखनीय काव्यात्मक टिप्पणी |सादर
ReplyDeleteजी ! आभार आपका रचना/विचार तक आने और उसे सहमति में सकारात्मक और विश्लेषणात्मक प्रतिक्रिया से नवाजने के लिए ...
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