Wednesday, May 13, 2020

चुप नहीं रह सकता आदमी...संध्या गुप्ता


चुप नहीं रह सकता आदमी
जब तक हैं शब्द
आदमी बोलेंगे

और आदमी भले ही छोड़ दे लेकिन
शब्द आदमी का साथ कभी छोड़ेंगे नहीं

अब यह आदमी पर है कि वह
बोले ...चीखे या फुसफुसाये

फुसफुसाना एक बड़ी तादाद के लोगों की
फितरत है!

बहुत कम लोग बोलते हैं यहाँ और...
चीखता तो कोई नहीं के बराबर ...

शब्द खुद नहीं चीख सकते
उन्हें आदमी की जरूरत होती है
और ये आदमी ही है जो बार-बार
शब्दों को मृत घोषित करने का
षड्यंत्र रचता रहता है!


- संध्या गुप्ता 
मूल रचना

4 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 14.5.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3701 में दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।

    धन्यवाद

    ReplyDelete
  2. वाह लाजवाब सही कहा आपने।
    शब्द खुद नहीं चीख सकते
    उन्हें आदमी की जरूरत होती है।
    सुंदर सृजन।

    ReplyDelete
  3. वाह !बेहतरीन सृजन 👌

    ReplyDelete