नाजुक चीजे कुछ ज्यादा ही,
प्रेम उतनाही नाजुक है
जितना की गुलाब का फूल !
लेकिन गुलाब जितना नाजुक
उतना ही आँधी,वर्षा, तेज धूप
के विरुद्ध शक्तिशाली,संघर्षरत !
जो सुबह-सुबह सूरज की
सुनहरी किरणों के साथ
खिलता खिलखिलाता है !
हवा की सरसराती तालपर
झूमता,डोलता, नाचता है !
और साँझ होते ही मुरझाने
लगता है …
बदलाव प्रकृति का नियम है !
चीजों को बदलकर नित नविन
शक्ल में ढाल देती है प्रकृति !
इस प्राकृतिक प्रक्रिया से
प्रेम भी अछूता नहीं होता !
परिस्थितियों की आँधियों
और वक्त की तेज धूप से
वो भी मुरझाने लगता है
बिलकुल इसी गुलाब की
तरह ..… !!
सुन्दर रचना।
ReplyDeleteप्रेरक और प्रशंसनीय
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteप्रशंसनीय
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर...
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