मेरी धरोहर..चुनिन्दा रचनाओं का संग्रह
Friday, December 20, 2019
आदमी अकेले जीना नही चाहता....रवीन्द्र भारद्वाज
आदमी अकेले आता है
और अकेले जाता है
लेकिन अकेले जीना नही चाहता
ना जाने क्यों !
वह मकड़ी का जाल बुनता है रिश्तों का
और खुद ही फँसता जाता है
उस जाल से वह जितना निकलने की कोशिश करता है
उतना ही उलझता जाता है
लेखा परिचय - रवीन्द्र भारद्वाज
3 comments:
Onkar
December 20, 2019 at 8:01 PM
बहुत सही कहा आपने
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Anonymous
December 21, 2019 at 4:02 PM
प्रश्न कठिन है नहीं सरल,
नहीं किसी से होता हल
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सुशील कुमार जोशी
December 21, 2019 at 5:55 PM
वाह
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बहुत सही कहा आपने
ReplyDeleteप्रश्न कठिन है नहीं सरल,
ReplyDeleteनहीं किसी से होता हल
वाह
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