खड़े है मुझको खरीदार देखने के लिए
मै घर से निकला था बाज़ार देखने के लिए
हज़ार बार हजारो की सम्त देखते है
तरस गए तुझे एक बार देखने के लिए
कतार में कई नाबीना लोग शामिल है
अमीरे-शहर का दरबार देखने के लिए
जगाए रखता हूँ सूरज को अपनी पलकों पर
ज़मीं को ख़्वाब से बेदार देखने के लिए
अजीब शख्स है लेता है जुगनुओ से खिराज़
शबो को अपने चमकदार देखने के लिए
हर एक हर्फ़ से चिंगारियाँ निकलती है
कलेजा चाहिए अखबार देखने के लिए
- राहत इंदौरी
लाजवाब
ReplyDeleteवर्ष राहत इंदौरी सा कोई दूसरा कहाँ!!! नमन🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteवाह लाजवाब!
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