बड़ी खूबसूरत अदाएँ तुम्हारी
बदन पर चमकती शुआएँ तुम्हारी!
मेरे तन पे लिपटा दुपट्टा हरा ये
दुपट्टे में उलझी ,दुआएँ तुम्हारी!
मैं तन्हा खड़ी हूँ, किसी ने पुकारा
यूँ हौले से आती सदाएँ तुम्हारी!
हवा आई तेरा ही पैगाम लेकर
मैं आई हूँ लेने बलाएँ तुम्हारी!
रोशन है तन-मन,मेरे संग संग हैं
तुम्हारी मुहब्बत,वफ़ाएँ तुम्हारी!
-रश्मि शर्मा
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 19 दिसम्बर 2019 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन ।
ReplyDeleteउम्दा/बेहतरीन।
बहुत सुंदर रचना ,सादर नमन
ReplyDeleteप्रेम और रिश्तों की खूबसूरती तभी निखरती है जब उसमें भावनाओं की सच्चाई और अपनापन हो। मोहब्बत सिर्फ लफ्ज़ों तक सीमित नहीं होती, बल्कि वह एहसास है जो दूरी में भी पास होने का आभास दिलाती है। सच्चा प्यार इंसान के भीतर उजाला भर देता है और हर कठिनाई में उसे मजबूत बनाता है।
ReplyDelete