Monday, December 2, 2019

शैतान हँस रहा है ... नादिर अहमद खान

शैतान हँस रहा है ...
लड़की चीख़ी
चिल्लायी भी
मगर हैवानों के कान बंद पड़े थे
नहीं सुन पाये
उसकी आवाज़ का दर्द

वह रोयी बहुत
आँखों से उसके
झर-झर आँसू गिरे
ख़ून के आँसू  
मगर हैवानों की आँखें
पत्थर की थी
वो आँसुओं का दर्द
नहीं देख पाये

वो हिचकियाँ लेकर
सिसकती रही
दुहाई देती रही  
कभी इंसानी रिश्तों की
कभी ईश्वर की
मगर हैवानों के दिल नहीं थे
वो दर्द महसूस न कर सके
वो घंटों लड़ती रही हैवानों से
अब मौत से लड़ रही है

दूर खड़ा शैतान हँस रहा है
मुस्कुरा रहा है
एक बार फिर
वो अपने मक़सद पर कामयाब रहा  
इंसानियत को तार –तार कर गया
इंसानों का इंसानों पर से
विश्वास हिला गया
सभ्य समाज को आईना दिखा गया  
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-नादिर अहमद खान



5 comments:

  1. जब कोई घटना मन मस्तिष्क को झकझोर दे तभी ऐसी भावनाएँ उत्पन्न होती है।
    और तात्कालिक घटनाएँ वाकई झकझोरने वाली है। यह घटना असहनीय एवं अक्षम्य योग्य है।

    बेहद संवेदनशील एवं भावुक रचना।

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  2. शैतान अट्टहास करते हैं वो हंसते नहीं हैं।

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  3. आज के शैतान खुल के जीते भी हैं ... हँसते हैं अपनी विजय पर ...

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  4. बेहद हृदयस्पर्शी रचना

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  5. बहुत ही हृदयस्पर्शी सृजन...

    वो अपने मक़सद पर कामयाब रहा
    इंसानियत को तार –तार कर गया
    इंसानों का इंसानों पर से
    विश्वास हिला गया

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