
जब से हुआ विज्ञान प्रबल
तब से हुआ वायु बदहाल
वाहन सब ईंधन से दौड़ते
धुआं छोड़ हवा को बिगाड़ते
शहर गांव का है बुरा हाल
मत पूछो भाई प्रदूषण का हाल
दमें से हैं कई बीमार
दूषित वायु की है मार
पेड़ बेचारे हैं मददगार
उनको काट कर हम बेकार
आओ मिलकर करें कुछ उपचार
लगाए पेड़ पौध हम घर-बाहर
बेहतरीन अभिव्यक्ति 👌
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबिलकुल सही ,बेहतरीन रचना ,सादर नमस्कार
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (01 -06-2019) को "तम्बाकू दो छोड़" (चर्चा अंक- 3353) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
३ जून २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करती सटीक रचना।
ReplyDeleteBahut hi shaandaar
ReplyDeleteGreat
ReplyDeleteThis is the perfect webpage for everyone who hopes to understand this topic. You know a whole lot its almost tough to argue with you (not that I personally would want to…HaHa). You definitely put a brand new spin on a topic that's been written about for ages. Excellent stuff, just wonderful! badabusiness.com
ReplyDelete