याद चारकोल स्केच है
धीरे-धीरे मन की पृष्ठभूमि में
घुलने लगती है
तुम्हारा छूना
एक स्थायी गोदना
रूह के माथे पर
धुंधलाने लगा है
आसमान
काले और सफ़ेद के बीच
नीला होना भुला चुका है
तुम्हारी मोहब्बत
दीमक बन ख़ोखला
कर रही है मेरे दिल को
हृदय स्पर्शी कविता। कुछ स्मृतियों को हम भूलना नहीं चाहते हैं....शायद यह इन्ही में से एक है।
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (18 -05-2019) को "पिता की छाया" (चर्चा अंक- 3339) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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अनीता सैनी
बहुत सुन्दर ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर...... ,सादर
ReplyDeleteबहुत उम्दा।
ReplyDeleteअथाह।