Monday, May 13, 2019

फेक इश्क.....ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना

भटके हुये दिलों के प्रेमी
आत्म मंजिल तक
नहीं पहुंचते हैं... 
फिर गलत इंसान से
धोखा खाकर
सही इंसान
से बदला लेते हैं......
घर की तकलीफ़ें.
चौराहे पर उड़ेलकर
घर को मकां
कर लेते हैं.... 
जीवन में हम इंसा
सिर्फ़ सुख के लिए
बिखरते हैं... 
मेरे युवा भाई-बहनों
माता-पिता पर ना
तुम भार बनो... 
फेक इश्क में
बदनाम ना होकर
जनसेवा से
यशवान बनो
बनो राष्ट्रभक्त
गद्दारों के तुम
काल बनो
आतंक मिटे
इस धरती से
मिलकर कुछ
ऐसे काम करो






4 comments:

  1. सुंदर प्रस्तुति

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (14-05-2019) को "लुटा हुआ ये शहर है" (चर्चा अंक- 3334) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. वाह बहुत सुंदर

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