पत्र तुम्हारा मिल गया कोरा
देखकर पढ़ा मैंने
और चूमा उसे
कलेजे से लगाकर रख दिया,
अनकही थी जो बातें
वो सब खुल गई
कालिमा मन में भरी थी
वो सब धुल गई।।
छेड़ दी सरगमें चाहत की
कितना लिखे कैसे लिखे ?
शब्द थे कम
इसलिए तुमने तुम्हारे पत्र में
कुछ नहीं लिखकर भी
सब कुछ लिख दिया
और मैंने देखकर पढ़ा चूमा
और सीने से लगाकर रख दिया।
बड़ा अजीब है
तुम्हारे कहने का ढंग
बिना शब्दों के भी सब
महसूस कर लिया मैंने।।
-अनमोल तिवारी कान्हा
शब्दावली:
कोरा=खाली(बिना लिखा), कालिमा=दुर्भावनाँए, सरगमें=राग संगीत
बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteप्रेम अनुभूति....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्ददर
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