Friday, August 4, 2017

हंसते-हंसते वह रोया है....डॉ. सुरेश उजाला





मैली चादर को धोया है.
हंसते-हंसते वह रोया है.

वही काटना सदा पड़ेगा,
जीवन में जो कुछ बोया है.

आज उसे अहसास हो गया,
क्या पाया है क्या खोया है.

नब्ज़ समय की पकड़ में आई,
शुष्क आंत को अब टोया है.

उसकी क्यों कर कमर झुकेगी,
जिसने भार नहीं ढोया है.

सपनों में चुसका लेने दो,
बच्चा रो कर के सोया है.

-डॉ. सुरेश उजाला

सम्पर्क : 
108, तकरोही, 
पं. दीनदयाल मार्ग, 
इन्दिरा नगर, 
लखनऊ (उ.प्र.)
साभारः रचनाकार

5 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (05-08-2017) को "लड़ाई अभिमान की" (चर्चा अंक 2687) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. वही काटना सदा पड़ेगा
    जीवन में जो कुछ बोया है
    वाह!!!
    बहुत सुन्दर...

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  4. आदरणीय बहुत अच्छी लगी आपकी रचना -------
    हंसी में रुदन पिरोया है -
    कईं रातों से ना सोया है
    अनायास ढलक गए आसूं
    मन का मैल यूँ धोया है | ---------
    यही है भावुक मन का सच ----- बहुत शुभकामना

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