मैं भूली, मेरी कहानी भूली !
संग बिताई सांझ सुहानी भूली !!
मन का आंगन डोल रहा !
मद-मस्त वो जवानी भूली !!
कोयल ने जब छेड़ी तान !
बारिस का वो पानी भूली !!
पंरिदे जब घर वापस आये !
दोपहर की वो नादानी भूली !!
हुई सांझ तेरी याद आयी !
गुजरे वक्त की निशानी भूली !!
आंखो आंखो मे बीती रातें !
फिर आंख का पानी भूली !!
प्यास बुझ गई एक बूंद से !
तपती रेत की वो रवानी भूली !!
मै भूली, मेरी कहानी भूली !
साथ बिताई सांझ सुहानी भूली !!
-प्रीती श्रीवास्तव
बहुत सुंदर धन्यवाद !
ReplyDeleteप्यास बुझ गई एक बूंद से !
ReplyDeleteतपती रेत की वो रवानी भूली !!....वाह!
सुन्दर।
ReplyDeleteएहसासों से गुज़रते लफ्ज़। सुन्दर, उत्कृष्ट प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
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