लाख दिल ने पुकारना चाहा
मैं ने फिर भी तुम्हें नहीं रोका
तुम मिरी वहशतों के साथी थे
कोई आसान था तुम्हें खोना?
तुम मिरा दर्द क्या समझ पाते
तुम ने तो शेर तक नहीं समझा
क्या किसी ख़्वाब की तलाफ़ी है?
आँख की धज्जियों का उड़ जाना
इस से राहत कशीद कर!! दिन रात
दर्द ने मुस्तक़िल नहीं रहना
आप के मश्वरों पे चलना है?
अच्छा सुनिए मैं साँस ले लूँ क्या?
ख़्वाब में अमृता ये कहती थी
इन से कोई सिला नहीं बेटा
देख तेज़ाब से जले चेहरे
हम हैं ऐसे समाज का हिस्सा
लड़खड़ाना नहीं मुझे फिर भी
तुम मिरा हाथ थाम कर रखना
वारिसान-ए-ग़म-ओ-अलम हैं हम
हम सलोनी किताब का क़िस्सा
सुन मिरी बद-गुमाँ परी!! सुन तो
हर कोई भेड़िया नहीं होता
-फरिहा नक़वी
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 21 अगस्त 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (21-08-2017) को "बच्चे होते स्वयं खिलौने" (चर्चा अंक 2703) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर।
ReplyDeleteकल वाइरल हुए उस रोती हुई बच्ची के वीडियो पर सलिल वर्मा जी की बेबाक राय ... उन्हीं के अंदाज़ में ... आज की ब्लॉग बुलेटिन में |
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, गुरुदेव ऊप्स गुरुदानव - ब्लॉग बुलेटिन विशेष “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
उर्दू के शब्द समझना सदा से मेरे लिये मुश्किल रहा है - यद्यपि मैं पूरा नहीं समझ सकी पर विषय मार्मिक है और सलिल ने चुनी है अच्छा लगा .।
ReplyDeleteलड़खड़ाना नहीं मुझे फिर भी
ReplyDeleteतुम मिरा हाथ थाम कर रखना...... सुन्दर!
हृदयस्पर्शी रचना।
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक और मर्मस्पर्शी रचना ----- सभी पंक्तियाँ मन को छु जा रही हैं --- पर सबसे अंतिम पंक्तियों में ------''
ReplyDeleteसुन मिरी बद-गुमाँ परी!!
तो
हर कोई भेड़िया नहीं होता
अंतिम पंक्तियों में जीवन की सकारात्मकता की अपार संभावनाएं नजर आती हैं --- दहशतजदा मन को सबसे भावपूर्ण सांत्वना है ---- बहुत बधाई आपको -------
ReplyDeleteलाजवाब ! बहुत खूब !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
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