Thursday, August 10, 2017

फांद गए आग पर....गोपाल "गुलशन"


देखकर तेरी रजा को, डूब मैं इतना गया।
पागलों सा हो गया, अश्क नैनों में भरा॥

चल पड़ा उस ओर मैं, उम्मीद एक जोड़कर।
फूल-फूल चुन लिए, पात-पात छोड़कर॥

हौसले बुलन्द हुए, संकेत तेरा मिल गया।
देखकर तेरी रजा को, डूब मैं इतना गया॥

सब्र न अब हो सका, प्यार का पहरा हुआ।
संगीत के छन्द भी, साथ मेरे चल दिए॥

एक छन्द ने कहा, प्यार आज हो गया।
देखकर तेरी रजा को, डूब मैं इतना गया॥

कदम तो अब बढ़ गया, आस की राह थी।
फांद गए आग पर, न जान की परवाह की॥

ख्वाब बस एक था, ओंठ तेरी चूम लूँ।
बाँह तेरी डालकर, एक बार झूम लूँ॥

संगीत भी चल रहा, काव्य न पूरा हुआ।
देखकर तेरी रजा को,डूब मैं इतना गया॥

बाराबंकी (उत्तर प्रदेश) 

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