मित्रों ने हर्ष-बधाई दी
मित्रों को हर्ष-बधाई दी
उत्तर भेजा, उत्तर आया
'नूतन प्रकाश', 'नूतन प्रभात'
इत्यादि शब्द कुछ दिन गूंजे
फिर मंद पडे, फिर लुप्त हुए
फिर अपनी गति से काल चला;
वह साल गया, यह साल चला।
आने वाला 'कल' 'आज' हुआ,
जो 'आज' हुआ वो 'कल' कहलाया
पृथ्वी पर नाचे रात-दिवस,
नभ में नाचे रवि-शशि-तारे.
निश्चित गति रखकर बेचारे।
यह मास गया, वह मास गया,
ऋतु-ऋतु बदली,मौसम बदला;
वह साल गया, यह साल चला।
झंझा-सनसन. घन-घन-गर्जन,
कोकिल - कूजन, केकी - क्रंदन,
अखबारी दुनिया की हलचल,
संग्राम - संधि. दंगा - फसाद,
व्याख्यान विविध चर्चा-विवाद
हम-तुम यह कह कर भूल गए,
वह बुरा हुआ, यह भला हुआ;
वह साल गया, यह साल चला।
-हरिवंशराय बच्चन
......मधुरिमा से
end of week end of month end of 2016 good morning Have a nice weekend kisses and hugs
ReplyDeleteसुन्दर रचना के साथ नये साल का आग़ाज । नव वर्ष की शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteहरिवंशराय बच्चन जी की बहुत सुन्दर रचना प्रस्तुति हेतु धन्यवाद
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (01-01-2017) को "नूतन वर्ष का अभिनन्दन" (चर्चा अंक-2574) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
नववर्ष 2017 की हार्दिक शुभकामनाओंं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर रचना
ReplyDeleteपहली बार पढ़ी हैं बच्चन सहाब की यह कविता........ आभार
ReplyDeleteनव बर्ष की शुभकामनाएं
http://savanxxx.blogspot.in
सुन्दर रचना ,शुभकामनाएं
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