Friday, December 2, 2016

आप ने मेरे कहने का ऐतबार किया...दाग़ देहलवी

ग़ज़ब किया, तेरे वादे पे ऐतबार किया
तमाम रात क़यामत का इन्तज़ार किया

तुझे* तो वादा-ए-दीदार हम से करना था
ये क्या किया कि जहाँ को उम्मीदवार किया

हम ऐसे महवे-नज़ारा न थे जो होश आता
मगर तुम्हारे तग़ाफ़ुल** ने होशियार किया

तेरी निगह के तसव्वुर में हमने ए क़ातिल
लगा लगा के गले से छुरी को प्यार किया

कुछ आगे दावर-ए-महशर* से है उम्मीद मुझे
कुछ आप ने मेरे कहने का ऐतबार किया

दाग़ देहलवी 


तग़ाफ़ुल: apathy, indifference, ignore
दावर-ए-महशर: One who decides on Day of Judgment, Almighty, God

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