मिलने वाला है नए साल का तोहफा फिर से,
लोग कहते हैं कि हाज़िर है तमाशा फिर से।
पैरहन जिसने दिखावे के सिला रक्खे हैं ,
ओढ़ लेगा वो शराफ़त का लबादा फिर से।
डूब जायेंगे कई लोग हमेशा की तरह ,
लाँघ जायेगा कोई आग का दरिया फिर से।
तैरने वाला कभी हार नहीं मानेगा,
यानी तैराक तलातुम से लड़ेगा फिर से।
हम इसी दर्ज़ा "कुँवर" देंगे बधाई हरदम,
देखते जाइये क़ुदरत का करिश्मा फिर से।
-कुँवर कुसुमेश
बहुत खूब।
ReplyDeleteदिनांक 22/12/2016 को...
ReplyDeleteआप की रचना का लिंक होगा...
पांच लिंकों का आनंद... https://www.halchalwith5links.blogspot.com पर...
आप भी इस प्रस्तुति में....
सादर आमंत्रित हैं...
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 22-12-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2564 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
'डूब जायेंगे कई लोग हमेशा की तरह, लांघ जाएगा कोई आग का दरिया फिर से.' बहुत खूब कुंवर कुसुमेश जी.
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
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