Tuesday, December 20, 2016

सच के साथ...........सुशील कुमार शर्मा


सच कहना
गुनाह तो नहीं है
रूठते लोग। 

मन में आंधी
घुमड़ते विचार
कब रुके हैं।  

सत्य बोलना
बहुत कठिन है
रहो अकेले।  

जब भी लिखा
कुछ न लिख पाया
सच के सिवा।  

मिट्टी का दीया
अंधेरे में प्रकाश
छोटी-सी आस।  

खिलाफ मेरे
सारा जहां खड़ा है
साथ हो तुम   

-सुशील कुमार शर्मा

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