सच के साथ...........सुशील कुमार शर्मा
सच कहना
गुनाह तो नहीं है
रूठते लोग।
मन में आंधी
घुमड़ते विचार
कब रुके हैं।
सत्य बोलना
बहुत कठिन है
रहो अकेले।
जब भी लिखा
कुछ न लिख पाया
सच के सिवा।
मिट्टी का दीया
अंधेरे में प्रकाश
छोटी-सी आस।
खिलाफ मेरे
सारा जहां खड़ा है
साथ हो तुम
-सुशील कुमार शर्मा
सुंदर हाइकु कविता।
ReplyDeleteसुन्दर हाइकू ।
ReplyDeleteबढ़िया हाइकु
ReplyDeleteसटीक हैं हाइकू ...
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