कुछ ईमानदार से शब्द
मेरी कलम से जब भी उतरते
मुझे उन शब्दों पर बस
फ़ख्र करने का मन करता
ईमानदारी व्यक्तित्व की हो या फिर
शब्दों की हमेशा प्रेरक होती है
व्यक्तित्व अनुकरणीय होता है
और शब्द विस्मरणीय !
....
ऐसे ही सहानुभूति भरे शब्द
कभी जब वक़्त बुरा होता है
हालातों से
समझौता करने की बात होती है
तो ये शब्द कब हौसला बन जाते हैं
पता भी नहीं चलता
सिर पर आशीष बन ठहर जाते हैं !!
...
चुनौतियां सबके जीवन में आती हैं
हाँ उनसे कोई सबक लेता है
तो कोई उन्हें आड़े हाथों लेता है
या फिर करता है कोई
उनसे जीतने के लिए संघर्ष !!!
-सीमा "सदा" सिंघल
शख्स तो एक दिन विदा हो जाता है लेकिन शख्सियत हमेशा जिन्दा रहती है । अति सुन्दर सीमा जी ।
ReplyDeleteबहुत खूब !! सीमा जी .
ReplyDeleteबहुत खूब ।
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 29-12-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2571 में दिया जाएगा ।
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ।
ReplyDeletebahut achi kavita hai aanand aa gaya
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