Friday, April 7, 2017

सियासत........पंकज शर्मा


ज़र्रा ज़र्रा दहक उठता है,
जब बेबात अदावत होती है।

हर कोना कोना रिसता है..
जब कोई शहादत होती है।

कुछ बड़ी मीनारें झुक जावे
कुछ ठंडे छींटे दे जावे..
कुछ देर सलामी होती है।

दम घुट घुट के रह जाता है,
जब शहीदों पे सियासत होती है।
-पंकज शर्मा 

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