Tuesday, April 4, 2017

जिन्दग़ी वो सवाल देती है..........श्रीमती आशा शैली


ज़ीस्त तोहफ़े कमाल देती है
पेचो-ख़म सब निकाल देती है।

एक छोटी खुशी हमें अक्सर
ग़म के साँचे में ढाल देती है।

ता-कयामत न जिनका हल निकले
जिन्दग़ी वो सवाल देती है।

दिल की नादान-सी कोई लग़्ज़िश
जिन्दग़ी भर मलाल देती है।

इक तसव्वुर की झील सावन-सी
कश्तियों को उछाल देती है।

आँख उसकी हमारे अश्कों को
दामने दिल में डाल देती है।

तुम ज़ुबां से निकाल कर देखो
बात घर से निकाल देती है।
-श्रीमती आशा शैली 

6 comments:

  1. एक छोटी खुशी हमें अक्सर
    ग़म के साँचे में ढाल देती है।....... वाह! इरसाद !!! बहुत उम्दा!!!!

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  2. बहुत सुन्दर.....
    दिल की नादान-सी कोई लग़्ज़िश
    जिन्दग़ी भर मलाल देती है।

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (06-04-2017) को

    "सबसे दुखी किसान" (चर्चा अंक-2615)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    विक्रमी सम्वत् 2074 की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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