Wednesday, April 12, 2017

उसके सिवा कोई न था............श्रीमती आशा शैली


मुझको बस इक आसरा, उसके सिवा कोई न था
जिस घड़ी कश्ती का मेरी नाखुदा कोई न था।

हैं मेरी तन्हाइयाँ पुरनूर तेरी याद से
तू ही तू था पास मेरे, दूसरा कोई न था।

तुमने मेरा हाथ थामा, मेरे रहबर आनकर
सामने मेरे बचा जब रास्ता कोई न था।

मैं तेरे दर पर सदा देती रही शामो-सहर
ये भी सच है पास मेरे मसअला कोई न था।

बंद आँखों से तेरा दीदार 'शैली' ने किया
एक पल भी दिल में मेरे दूसरा कोई न था।
-श्रीमती आशा शैली 


4 comments:

  1. आशा शैली जी की सुन्दर रचना प्रस्तुति हेतु धन्यवाद

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  2. प्रभावशाली प्रस्तुति...
    मेरे ब्लॉग की नई प्रस्तुति पर आपके विचारों का स्वागत।

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  3. सुन्दर प्रस्तुति

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