मित्रों ने हर्ष-बधाई दी
मित्रों को हर्ष-बधाई दी
उत्तर भेजा, उत्तर आया
'नूतन प्रकाश', 'नूतन प्रभात'
इत्यादि शब्द कुछ दिन गूंजे
फिर मंद पडे, फिर लुप्त हुए
फिर अपनी गति से काल चला;
वह साल गया, यह साल चला।
आने वाला 'कल' 'आज' हुआ,
जो 'आज' हुआ वो 'कल' कहलाया
पृथ्वी पर नाचे रात-दिवस,
नभ में नाचे रवि-शशि-तारे.
निश्चित गति रखकर बेचारे।
यह मास गया, वह मास गया,
ऋतु-ऋतु बदली,मौसम बदला;
वह साल गया, यह साल चला।
झंझा-सनसन. घन-घन-गर्जन,
कोकिल - कूजन, केकी - क्रंदन,
अखबारी दुनिया की हलचल,
संग्राम - संधि. दंगा - फसाद,
व्याख्यान विविध चर्चा-विवाद
हम-तुम यह कह कर भूल गए,
वह बुरा हुआ, यह भला हुआ;
वह साल गया, यह साल चला।
-हरिवंशराय बच्चन
......मधुरिमा से