Friday, July 3, 2015

हँसी कायनात तो होगी...........प्रस्तुति स्वप्निल‬



अपनी कश्ती भी मझधार के पार तो होगी।
कभी साहिल से हमारी मुलाक़ात तो होगी।।

जिंदगी भले ना मिले कभी आरजुओं वाली। 
सुकूँ से लबालब भरी हुई एक रात तो होगी।।

अपने वैसे सिलसिले जो कभी शुरू नही हुए।
चलो इसी बहाने एक नयी शुरुवात तो होगी।।

अब कब तलक हमसे दूर रहना है जनाब को।
अपने प्यार की एक हँसी कायनात तो होगी।।

सुलगने दो रात को तन्हाइयों का शोर काफी है।
आज साथ हमारे मुरादों वाली बरसात तो होगी।।

अब आओ मुझमें सिमट जाओ तुम सदा के लिए।
मिलन में धरती और आकाश जैसी बात तो होगी।।

'दिलचन' को बतायेंगे हम हाल-ए-मुहब्बत अपना।
फिर उस ओर से हमें मिलाने की करामात तो होगी।।

प्रस्तुतिः यू एस मिश्रा 'स्वप्निल'‬ 

मेरी ओर से एक स्पष्टिकरणः
श्री यू एस मिश्रा  दिनांक एक जुलाई को मित्र बने
और आज क्या देखती हूँ
कि वे अपना फेसबुक प्रोफाईल हटा चुके हैं
रचना पठनीय है अतः आप इस रचना का अवलोकन करें
तथा मूल श़ायर का नाम भी बताएँ
सादर...
यशोदा 

1 comment:

  1. अब आओ मुझमें सिमट जाओ तुम सदा के लिए।
    मिलन में धरती और आकाश जैसी बात तो होगी।।


    सुन्दर............

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