Saturday, July 18, 2015

ईद की शुभ कामनाएँ.....शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

                          

छोड़ हर शिकवा गिला, दिल को मिला, ईद मना।
भूल    जा   अपनी  जफ़ा,  मेरी ख़ता, ईद मना।
 

बुग़्ज़ को  छोड़  दे,  नफ़रत  को भुला, ईद मना।
ये  भी  नेकी  है, ये  नेकी  भी  कमा, ईद मना।
 

हो  सका  जितना  भी  वो  तूने किया, अच्छा है,
 सोच  मत, ये  न  हुआ, वो  न  हुआ, ईद मना।
  

इससे  लेना  है, उसे  देना  है, सब  चलता  है, 
उलझनें  जे़हन  से  सब  दूर  हटा, ईद मना।
 

ऊंचे महलों में  सभी ख़ुश हों,  ज़रूरी तो नहीं,
जो  मक़ाम अपना है, वो  देख ज़रा,  ईद मना।
 

वक़्त तो  सबका  बदल जाता है इक  दिन शाहिद,
शुक्र हर  हाल में  कर रब  का अदा,  ईद मना।
                       

-शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

1 comment:

  1. बेहतरीन रचना ,आपको ईद मुबारक

    ReplyDelete