राह देखती ,
तेरे इन्तजार मे ,
राहें भी आज ! १ !
आगे तो बढ़ !
हौसला है तुझमे ,
कदम बढ़ा ! २ !
कन्धे पे जमीं !
आसमान पैरों पे ,
अब दे झुका ! ३ !
दम तोड दे ,
पवन घुटन से ,
गर चाह ले ! ४ !
ऐसी तपन !
जल भी जल जाये ,
गर चाह ले ! ५ !
सूरज को भी !
प्रभा को ताकने की ,
फुर्सत ना हो ! ६ !
घूमना चाहे !
धरती धुरी पर ,
जुर्रत ना हो ! ७ !
हौसला रख !
आग की औकात क्या ,
तुझे जला दे ! ८ !
बस फासला !
चादं हिन्दुस्तान में ,
दो कदम का ! ९ !
रख हौसला !
अपने जिगर में ,
आजमाने का ! १० !
-अनुज तिवारी
-अनुज तिवारी
रचनाकार मध्यप्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर निवासी हैं
नवोदित रचनाकार प्रचार-प्रसार के अभिलाषी नहीं है
वर्तमान में आप अपनी रचनाएँ
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हिन्दी काव्य संकलन में
संग्रहित करते हैं
सम्पर्क सूत्रः +9158688418
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