आसमान के ख़्याल,
धरा की गहराई,
रात्री का अँधेरा,
दिन की चमक,
शब्द बोलते हैं।
इन्सान की इन्सानियत,
हैवान की हैवानियत,
फूल की मुस्कान,
काँटों का ज्ञान,
शब्द बोलते हैं।
प्रकृति का प्रकोप,
जवान की शहादत,
विधवा का विलाप,
बच्चों की चीत्कार,
शब्द बोलते हैं।
शब्दों की चोट,
मन की खोट,
नज़रों का फेर,
गहन अन्धेर,
शब्द बोलते हैं।
शब्दों पर कटाक्ष,
शब्दों पर प्रहार,
शब्दों का दुरुपयोग,
शब्दों का आत्मदाह,
सिर्फ़ शब्द झेलते हैं।
- शबनम शर्मा
बहुत खूबसूरत लिखा आपने, शब्द अहसास को रुप देते है, सारगर्भित रचना.. शुभ दिवस...!!
ReplyDeleteशब्द ही नाद है शब्द ही ब्रह्म है
ReplyDeleteशब्द ही आत्मा शब्द ही धर्म है
शब्द ही कर्म हमारा शब्द ही मर्म है
शब्द ही पहिचान हमारी शब्द स्वयं ईश्वर है
जो कुछ है जगत मे केवल और केवल शब्द ही शब्द है
Very nice
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (29-11-2017) को "कहलाना प्रणवीर" (चर्चा अंक-2802) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आप सभी सुधीजनों को "एकलव्य" का प्रणाम व अभिनन्दन। आप सभी से आदरपूर्वक अनुरोध है कि 'पांच लिंकों का आनंद' के अगले विशेषांक हेतु अपनी अथवा अपने पसंद के किसी भी रचनाकार की रचनाओं का लिंक हमें आगामी रविवार(दिनांक ०३ दिसंबर २०१७ ) तक प्रेषित करें। आप हमें ई -मेल इस पते पर करें dhruvsinghvns@gmail.com
ReplyDeleteहमारा प्रयास आपको एक उचित मंच उपलब्ध कराना !
तो आइये एक कारवां बनायें। एक मंच,सशक्त मंच ! सादर
बहुत सुन्दर.....
ReplyDeleteशब्द मन के भावों को अभिव्यक्त करने का एक माध्यम हैं और मन के एहसास बताते हैं जैसे की ये लाजवाब रचना ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबधु