Thursday, November 2, 2017

हर शख्स अंधा हो रहा है............डॉ. अनिल चड्डा

ज़माने में धुँआ कैसा हुआ है,
यहाँ हर शख्स अंधा हो रहा है।

दुआ कोई नहीं है काम करती,
समय ने घात सब से ही किया है!

सवालों को घुमाये जो हमेशा,
नहीं आता उसे करना वफ़ा है! 

अदायें अब नहीं हमको लुभाती,
जफाओं ने यही हमको दिया है!

‘अनिल’ जैसे कई बैठे हैं तन्हा,
ज़माने में यही होता रहा है!
-डॉ. अनिल चड्डा

2 comments:

  1. बहुत खूबसूरत रचना अनिल जी...सवालों को घुमाये जो हमेशा,
    नहीं आता उसे करना वफ़ा है!

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