Tuesday, October 7, 2014

खनकता फिर भी रहेगा..............मृदुल पंडित











आदमी और सिक्के में
कोई अन्तर नहीं
एक पैसे का हो
या रुपए भर का
सिक्के के मानिन्द झुकता है
दुआ-सलाम के लिए
और गिर जाता है
औंधे मुंह.
सिक्का ही होता है
हथियार उसके लिए
कभी हेड, कभी टेल
दोनों में वह तलाश लेता है
अपना स्वार्थ.
सिक्के की तरह
चाल-चलन में रमते हुए
आदमी हो जाता है
खुद खोटा सिक्का
वह उलटा गिरे या सीधा
खनकता फिर भी रहेगा

-मृदुल पंडित
... पत्रिका से

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