वो जिएँ क्या जिन्हें जीने का हुनर भी न मिला
दश्त में ख़ाक उड़ाते रहे घर भी न मिला
ख़स ओ ख़ाशाक से निस्बत थी तो होना था यही
ढूँढने निकले थे शोले को शरर भी न मिला
न पुरानों से निभी और न नए साथ चले
दिल उधर भी न मिला और इधर भी न मिला
धूप सी धूप में इक उम्र कटी है अपनी
दश्त ऐसा के जहाँ कोई शजर भी न मिला
कोई दोनों में कहीं रब्त निहाँ है शायद
बुत-कदा छूटा तो अल्लाह का घर भी न मिला
हाथ उट्ठे थे क़दम फिर भी बढ़ाया न गया
क्या तअज्जुब जो दुआओं में असर भी न मिला
बज़्म की बज़्म हुई रात के जादू का शिकार
कोई दिल-दादा-ए-अफ़सून-ए-सहर भी न मिला.
दश्त : मरुस्थल, ख़ाशाक : सूखी घांस , निस्बत : नाता ,शरर : चमक, शजर: पेड़, रब्त: रिश्ता, निहाँ: छिपा, तअज्जुब: आश्चर्य, बज़्म: सभा ,
दश्त में ख़ाक उड़ाते रहे घर भी न मिला
ख़स ओ ख़ाशाक से निस्बत थी तो होना था यही
ढूँढने निकले थे शोले को शरर भी न मिला
न पुरानों से निभी और न नए साथ चले
दिल उधर भी न मिला और इधर भी न मिला
धूप सी धूप में इक उम्र कटी है अपनी
दश्त ऐसा के जहाँ कोई शजर भी न मिला
कोई दोनों में कहीं रब्त निहाँ है शायद
बुत-कदा छूटा तो अल्लाह का घर भी न मिला
हाथ उट्ठे थे क़दम फिर भी बढ़ाया न गया
क्या तअज्जुब जो दुआओं में असर भी न मिला
बज़्म की बज़्म हुई रात के जादू का शिकार
कोई दिल-दादा-ए-अफ़सून-ए-सहर भी न मिला.
दश्त : मरुस्थल, ख़ाशाक : सूखी घांस , निस्बत : नाता ,शरर : चमक, शजर: पेड़, रब्त: रिश्ता, निहाँ: छिपा, तअज्जुब: आश्चर्य, बज़्म: सभा ,
आले अहमद सरूर
जन्म : 09 सितम्बर 1911,बदायूं उ.प्र.
मृत्यु : 08 फरवरी 2002, दिल्ली
जन्म : 09 सितम्बर 1911,बदायूं उ.प्र.
मृत्यु : 08 फरवरी 2002, दिल्ली
आपने बहुत सच्चाई के साथ लिखा धन्यवाद
ReplyDeletehttps://www.facebook.com/RsDiwraya.
आपका आँगन गूँजेगा पक्षियो की चहचाहाट से
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के - चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया भावभीनी याद ...
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति ..