मेरी धरोहर..चुनिन्दा रचनाओं का संग्रह
Friday, October 3, 2014
साठ बरस........ केदारनाथ सिंह
पिछले साठ बरसों से
एक सुई और तागे के बीच
दबी हुई है मां
हालांकि वह खुद एक
करघा है
जिस पर साठ बरस बुने
गए हैं
धीरे-धीरे तह पर तह
खूब मोटे और गझिन और
खुरदरे
साठ बरस
-केदारनाथ सिंह
.... नायिका से
3 comments:
Unknown
October 3, 2014 at 2:39 PM
Bahut sunder ....!!
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Unknown
October 3, 2014 at 3:18 PM
behatreen
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सदा
October 3, 2014 at 4:16 PM
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति
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Bahut sunder ....!!
ReplyDeletebehatreen
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति
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